Sunday, July 18, 2010

एक दास्ताँ ....

क्यूँ इस राह पर चल दिया था मै अकेला
यादों को उसकी अपना हमसफ़र बनाये
इस उम्मीद के तले की मंजिल मिलेगी कभी
पर काँटों और पत्थर के सिवाय कुछ ना मिला

फिर भी रुकने का मैंने था ठाना
इस विश्वास के साथ की मुकाम तक पहुचुंगा कभी
एक आस थी मेरे अन्दर जो हर दर्द की दवा बनी
दिन निकले बरस निकले पर निकला मेरा दम

फिर एक दिन मुझे एहसास हुआ
घूम रहा था मै उन्ही राहों में गोल
नींद खुली सपना टूटा और टूटा मेरा दिल
आज मै था अकेला, बिल्कुल अकेला
इस इंतज़ार के साथ कि
कोई तो थामे मेरा हाथ, कोई तो दे मेरा साथ

किसे दूँ दोष, किसे कहूँ अपना
जिस दिल पर भरोसा था, उसी ने दिया इतना दर्द
मोहब्बत ही तो मैंने कि थी, और किया था क्या गलत???
आज कोई मेरे करीब है, कोई हमदर्द

अब और उसे चाहूँगा, ले लिया है मैंने फैसला
नहीं है वो मेरे नसीब में, रखूँगा कोई हसरत

और सुनूंगा इस ज़ालिम दिल कि
तू रहे खुश सदा, बस है यही मेरी दुआ......

Friday, July 16, 2010

Some Feelings....

There was a hope
In my heart

There were dreams
In my eyes

There was a desire
In my life

There was a wish
I wanted to come true

There was power
In my arms

There was prayer
Inside me

There was an answer
I was seeking

There were nights
I think of you

There was something
I feel for you